ग़ज़ल - ए - हयात
ग़ज़ल - ए - हयात
एक आँसू को
किताब के अंदर
छुपा दिया
और खोली
जब किताब तो
ग़ज़ल दिखी मुझे...!
एक आँसू को
किताब के अंदर
छुपा दिया
और खोली
जब किताब तो
ग़ज़ल दिखी मुझे...!