STORYMIRROR

Divine Poet

Drama Romance Tragedy

4  

Divine Poet

Drama Romance Tragedy

ज़िंदगी के एहसास

ज़िंदगी के एहसास

1 min
280


एक ज़िंदगी है और 

ज़िंदगी के एहसास कितने 

दूरियाँ है ज़िंदगी में 

ज़िंदगी के ग़म पास कितने

 

ख़ुशियाँ बिक रहीं है फलक 

उल्फत के ख़रीद्दार कितने 

ग़मों की महफ़िल सजी है 

ऐ दिल यहाँ , बीमार कितने 


कौन दवा दे, इश्क़ के मारे को 

कहने को तो है यहाँ बाज़ार कितने 

हुआ क़त्ल है नादान हसरतों का 

खून से लथपथ यहाँ हाथ कितने


एक ज़िंदगी है और 

ज़िंदगी के एहसास कितने। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama