के राब्ता है तेरी हर बात से हमें
के राब्ता है तेरी हर बात से हमें
रोशन है अंधेरा कोना दिल का
कुछ ख़ुशमिज़ाज ग़मों के होने से
और मायूस नहीं ये ज़िंदगी भी
तन्हाई में पलकें भिगोने से
नहीं तक़दीर में लिखा, साथ तो क्या
क्यूँ रुके हम हसरत सजोने से
बड़ी देर बाद आइ है रौनक़ ये
जो मिला उसी में खुद को डूबोने से
के राब्ता है तेरी हर बात से हमें
फिर चाहे वो, दर्द हो या राहत।