आसान तो नहीं भुलाना तुम्हें
आसान तो नहीं भुलाना तुम्हें
आसान तो नहीं भुलाना तुम्हें क्या होता है,
याद आना तुम्हें कोशिशें दम भरती है,
मगर ज़ख़्म कहते है, है मिटाना तुम्हें
आसान तो नहीं भुलाना तुम्हें
क्यूँ ना हो याद आना तुम्हें !!
ग़र लकीरों की सुने हम दिल
नसीब इतना भी, बुरा नहीं
वक्त की तराज़ू पे, ज़िंदगी मगर
है सुकून कभी, मिला नहीं
के आसान तो नहीं भुलाना तुम्हें
कैसे मुमकिन हो याद आना तुम्हें
थी प्यास और तलाश ऐ दिल
गुस्ताखियाँ करता रहा
चार पलों की इस ज़िंदगी में
कितनी ही सदियाँ मरता रहा
फिर भी, आसान कहाँ भुलाना तुम्हें
एक कोशिश, ज़रा याद आना तुम्हें