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Divine Poet

Drama Romance Tragedy

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Divine Poet

Drama Romance Tragedy

उलझे हुए लम्हे

उलझे हुए लम्हे

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उमर कब गुजर गई, सफ़र में ऐ ज़िंदगी के मेरा

खुद के वजूद से कोई वास्ता न रहा 

आधी अधूरी जितनी भी बातें थी कल की 

उन पलों में लौट जाने का, कोई रास्ता न रहा 

अब, बस यादें ही तो है, इन ज़ख्मों को सहलाने को 

और कुछ उलझे हुए से लम्हे है, बेचैन दिल बहलाने को 



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