क्यूँ उसे इतनी जल्दी अपनी छत्रछाया से दूर करना चाहते हो क्यूँ उसे इतनी जल्दी अपनी छत्रछाया से दूर करना चाहते हो
उन पलों में लौट जाने का, कोई रास्ता न रहा उन पलों में लौट जाने का, कोई रास्ता न रहा
लेकिन तुम जिस्म की बारीकियों में उलझे रहे। लेकिन तुम जिस्म की बारीकियों में उलझे रहे।
पर उसने तो हमें दिल से जोड़ा था, उसका दिल कैसे तोड़ते। पर उसने तो हमें दिल से जोड़ा था, उसका दिल कैसे तोड़ते।
मेरी उम्मीदें चार दीवारों में क़ैद कल तक थी खुली हवा में अब बहकर देखते है मेरी उम्मीदें चार दीवारों में क़ैद कल तक थी खुली हवा में अब बहकर देखते है
हमारी ख्वाहिशें हमें दलदल से निकलने देना ही नहीं चाहती। हमारी ख्वाहिशें हमें दलदल से निकलने देना ही नहीं चाहती।