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Divine Poet

Drama Romance Tragedy

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Divine Poet

Drama Romance Tragedy

ज़िंदगी बेज़ार सी है तुम बिन

ज़िंदगी बेज़ार सी है तुम बिन

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कैसे कहूँ के हालात ठीक है 

कैसे कहूँ के जज़्बात है गुमसुम 

कैसे यक़ीन दिलाऊँ के तनहा हूँ 

और ज़िंदगी बेज़ार सी है तुम बिन 

क्यूँ शबाब को है बेचैनी 

क्यूँ हसरतें हैं ख़फ़ा ख़फ़ा 

क्यूँ छेड़ रही है धड़कनें 

उन लम्हों को पहली दफ़ा 

जिन्हें वक्त के किसी कोने में 

दफ्न कर आए थे हम 

वो लम्हे अंगड़ाई ले रही ,फिर से 

फिर से हो रहा, चस्म ऐ नम 

क्या रिहा होंगे कभी 

वो ख़्वाब जो क़ैद में है 

क्या रुखसत हो जाएंगी सभी 

वो गुस्ताखियाँ जो ऐब सी है 

कैसे कहूँ के, एक है हम तुम 

कैसे कहूँ के, झूठे है पलछिन

कैसे यक़ीन दिलाऊँ के इंतजार है 

और ज़िंदगी बेज़ार सी है तुम बिन 



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