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Divine Poet

Inspirational

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इंसानियत का है यही उसूल

इंसानियत का है यही उसूल

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किसी का साथ मिले ना मिले 

किसी का साथ देना ज़रूर 

ये ज़िंदगी है, बेरहम कभी 

और कभी है बेपनाह मक़बूल 


के तन्हा है सब यहाँ लेकिन 

तन्हाई नहीं है एक ही वजूद 

रोते हुए को हँसाना भी यहाँ 

कभी कभी बन जाए क़सूर 


फिर भी, कोशिश करते रहे 

इंसानियत का है यही उसूल 

कि किसी के कोई काम जो आए 

ख़ुदा का ही है वो रूप।


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