नवजीवन का सन्देश सुनाएँ
नवजीवन का सन्देश सुनाएँ


इस जीवन के बुझते दीपों में,
हम सब मिलकर नव ज्योति जलाएं.
अंतस्तल में दारुण दुःख लहराता,
उनके हृदयों में नव संदेश सुनाएं.
जिन प्राणों में अरमान नहीं,
स्वप्नों भावों में विचार नश्वरता के भर जाएं.
उन नयनों के आँसू पोंछें,
मृतप्राय मानवता में नव बल का संचार कराएं.
हम दिव्य दिवाकर भारत के प्रकाश पुंज हैं ,
जग को जगमग कर जायें.
तन मन के सब तिमिर हटायें ,
आओ सब मिलकर दीये जलायें.
गौरव स्वाभिमान के धनी हैं हम,
आओ ज्ञान विवेक के राजहंस बन जायें.
दसों दिशाओं को आलोकित कर दें ,
शुभता सुचिता संस्कृति संस्कार के दिये जलायें.
धरती पर नव नूतन सूर्य उगायें,
जन मन में नवल मुकुल कमल खिलायें.
द्वेष ईर्ष्या कुंठा शिव बन कर पी जायें,
कंटक पथ के दूर करें संकट से मत घबरायें.
तन मन के सब तिमिर हटायें,
आओ सब मिलकर दिये जलायें.
हम दिव्य दिवाकर भारत के प्रकाश पुंज हैं,
जग को जग जगमग कर जायें.
तपह भूमि है कर्म भूमि है भारत मेरा,
ज्ञान का तेल श्रम कर्म की बाती बन दिया बनायें.
ईश्वर सिर्फ आकृतियां और आकार बनाता,
हम सब मिलकर कर्तव्य प्रेरणा के स्त्रोत बनायें.
तन मन के सब तिमिर हटायें,
आओ सब मिलकर द
िये जलाएं.
हम दिव्य दिवाकर भारत के प्रकाश पुंज हैं,
जग को जगमग कर जायें.
रात्रि की कालिमा लुप्त हो गई है ,
ऋद्धि सिद्धि अणिमा गरिमा ले आई है.
गणपति रमा उमा ब्रह्माणी की,
शक्ति असीमित छायी है.
शुभ अवसर पर रौशनी ने रौशन करके ,
दिव्य दिवाकर की अनुपम महिमा गायी है.
घर द्वार सब धवल स्वच्छ बने,
पृक्रति सृष्टि सुखदाई वरदायी है.
हम निर्बल का बल निर्धन का धन बन कर,
देश का समस्त दुख दारिद्र भगायें.
तन मन धन सब स्वच्छ करें,
भारत का वैभव भाग्य जगायें.
अपने आसपास स्वच्छता लाएं,
प्रदूषण रहित उमंग भरा उल्लास मनायें.
तन मन के सब तिमिर हटायें,
आओ सब मिलकर दिये जलायें.
हम दिव्य दिवाकर भारत के प्रकाश पुंज हैं,
जग को जगमग कर जायें.
निराशाओं के मरुस्थल को उपवन में बदलें,
खुशी के अगणित दीप जलाएं.
दीन दुखियों के मन मंदिर में भी,
उल्लास का अभिनव एक दिया जलाएं.
आओ जीवन के बुझते दीपों में,
हम सब मिलकर नव ज्योति जलाएं.
जिनके अंतस्तल में दारुण दुःख लहराता,
उनके हृदयों में नव संदेश सुनाएं.
इस क्षणभंगूर जीवन में नश्वरता दूर भगाएं,
प्राणों की आहुति देकर जग रौशन कर जाएं.