खुलेगी गठरी जिस दिन बिखरेंगे कई किस्से पिरो कर फिर फिर बनेगी एक नई गाथा । खुलेगी गठरी जिस दिन बिखरेंगे कई किस्से पिरो कर फिर फिर बनेगी एक नई गाथा ...
उन लम्हों को पहली दफ़ा जिन्हें वक्त के किसी कोने में दफ्न कर आए थे हम उन लम्हों को पहली दफ़ा जिन्हें वक्त के किसी कोने में दफ्न कर आए थे हम
पीहर की मिट्टी का सोंधा मंज़र ताज़िंदगी तरोताजा रहता है। पीहर की मिट्टी का सोंधा मंज़र ताज़िंदगी तरोताजा रहता है।