तेरा अहसास
तेरा अहसास
तब भी बिखेर कर मेरे चेहरे पर सुबह वाली हंसी
गुम हो जाते हो ऐसे जैसे सपने टूटे हो अभी अभी
फिर फ़ैल जाती है खामोशी इंतजार तेरा
एक अलग सा अहसास ,डर नहीं कि कोई छीनेगा तुझे मुझसे
मेरे अहसास को कौन छीन सकता है
पलछिन सपनों की गठरी बनती जाती है
खुलेगी गठरी जिस दिन बिखरेंगे कई किस्से
पिरो कर फिर फिर बनेगी एक नई गाथा
सिल सिल कर उनको बनाऊंगी एक नई सुन्दर चीर ढँक लूंगी खुद को
शरमायेगी फिर वह एहसास निहार खुद को खुद में।