उत्तरायण
उत्तरायण
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आया उत्तरायण का पावन त्यौहार
लाया तिल गुड़ संग पतंगों की उड़ान
मन झूम झूम उड़ने लगता
कट कर गिरना यह नियति है
पर उड़ने की उमंग और हौसलों से
सबके दिल में पलभर ही सही
खुशियों के रंग दे जाती है
चलो उड़ाए पतंग
मिल कर सबके संग
दे सपनों को ऊंची उड़ान
दिखाए अपने हुनर की करामात
ढील देकर करे
मंजिल तक पहुंचने की शुरुआत
चलो झूमे मुस्कुराए मनाए त्योहार
भूल कर सब उदासी बैर और गम।