दिसंबर
दिसंबर
यह जो दिसंबर है नजाने को
हो रहा है बेकरार
समेटे अपने दिल में
वसंत के वो लम्हे
युगल जोड़े को होता
जिसका इंतजार
गर्मी की दुपहरिया
मीठे रसीले फल
बना देते जिसे यादगार
ठंड की सर्द हवाओं में
ओढ़ दुशाला भुट्टे की सोंधी महक
बढाती रिश्तो मे प्यार
धीमे-धीमे चल पड़ा देखो दिसंबर
अपने मंजिल के पास
छोड़ अपनों को अपनों के संग
दिखा जीवन के इंद्रधनुषी रंग।
