बारीश की बूंदें
बारीश की बूंदें
यह बूंदें बारिश की मानो कहा खो जाती है ?
मिट्टी मे गिरे तो हरतरफ सुंगंध बरसाती है
पर नाले मे गिरे तो सबकेलिये हानिकारक बन जाती है
संमुदर मे गिरे तो उसका वजूद खो देती है
वही सीप मे गिरे तो मोती बनके चमकती है
किसी रेगीस्तान मे गिरे, तो सारा सुखा खत्म कर देती है
पर किसी नदी मे डुब जाये, तो बहाव में बह जाती है
हा ये बारीश की बूंदें सच में क्या काम करती है
दो पल का अहसास ही तो दिलाती है
प्यार के पंश्चियो को मिलाने का काम ही तो कर
ती है
पहली बारीश कि बुँदो मे भिगने का सुख ही तो देती है
सारे लोगो को एक नया अनुभव ही तो कराती है
खेत मे जाके हमे खानाही तो देती है
नदीयो मे मच्छलीयो केलीये रक्षा ही तो करती है
हा सचमे ये बारीश कि बूंदें मानो क्या सोचती है ?
कुच्छ पल का रास्ता ही तो रोकती है
पर सबको पानी पिलाने कि जिम्मेदारी मानती है
शांत और कोमल स्वभाव का मनही तो रखती है
पर क्रोध के समय बाड़ भी लाती है
हाँ ये बारिश की बूंदें कौन सा अजीब अहसास देती है ?