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आ. वि. कामिरे

Romance

3  

आ. वि. कामिरे

Romance

ख्वाईश

ख्वाईश

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अजीब सा एहसास ये है

चेहरे पर न दिखाते हुये भी

दिल हमेशा पता नही क्यो

तुम्हारी ही यादों मे खोया रहता है

भुलाना चाहूं फिर भी

दिल हरबार इन्कार करता है

तेरी एक मुस्कुराहट के लिये 

कम्बख़्त दुनिया मुझे हरबार तड़पाती है

ख्याल बस तुम इतना रखना

कि, इस जालिम समाज मे भी 

अपने इस दोस्त को कभी न भूलना।


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