झूठ
झूठ
पड़ी जरुरत तो अगर
बोल दू झूठ मै सारे पहर
या बोल दूँ मैं सारे नगर
फिर भी एक चिंता
सताती मेरे भीतर
पता नही इसका मुझे जवाब
फिर भी ढूंढ रहा मै सारे दर
तब थक हारके बैठता मै जब
आवाज एकही आती मेरे कानो मे
झूठ तो बोल लेगा तू सारे संसारसे
पर गौर खुद पर कर थोड़ा
क्या तुम बोल पाओगे झूठ अपनेआपसे ?
