मैं नदी, पहाड़ों से निकलती हूँ, जमीन पर कल कल बहती हूँ। मैं नदी, पहाड़ों से निकलती हूँ, जमीन पर कल कल बहती हूँ।
हां, मैं खुश हूँ सच्ची खुशी को पा गया। हां, मैं खुश हूँ सच्ची खुशी को पा गया।
कोई फर्क नहीं कर पाएगा, अंदर बाहर सब रंगों रंग हो जाएगा। कोई फर्क नहीं कर पाएगा, अंदर बाहर सब रंगों रंग हो जाएगा।
बस खामोशी के इस मंजर में वो मुकाम तो आने दे। बस खामोशी के इस मंजर में वो मुकाम तो आने दे।
भरे दिल से सादर नमन देती रहना आशीर्वचन। भरे दिल से सादर नमन देती रहना आशीर्वचन।
उस वेदना को मैंने अपना लिया है अब उस वेदना को मैंने अपना लिया है अब