Amit Kumar
Abstract
वो जो वेदना
तुम्हारे भीतर
निहित अक्षरों के
संवादों का
अर्थ बनकर उभरी थी
उस वेदना को मैंने
अपना लिया है अब
उन अक्षरों के ज्ञान को
स्वयं में निहित कर
मैं तुम्हारा
और मेरा मिलाकर
कुछ हमारा बनाने की
यथावत कोशिश में जुटा हूँ।
उम्मीद
सदक़ा
नायाब
शिद्द्त
सदा मेरी राहो...
जो तुमने दिया...
सदा के लिए......
तुम चाँद हो स...
पलकों की चिलम...
मेरे शब्द
मेरी पहली टीचर जो रही है मेरे हर दुख सुख में साथ जो मेरे रही है मेरी पहली टीचर जो रही है मेरे हर दुख सुख में साथ जो मेरे रही है
यही सोच कर कर्म रचाना था अभिध्यान अधूरा था। यही सोच कर कर्म रचाना था अभिध्यान अधूरा था।
किसी रोज हम तेरी आंखों में भरे मिलेंगे। किसी रोज हम तेरी आंखों में भरे मिलेंगे।
अश्म सा कठोर, बर्फ सा द्रवित सदैव गतिशील प्रीत ! अश्म सा कठोर, बर्फ सा द्रवित सदैव गतिशील प्रीत !
इंडिया गोल्ड कप, अर्जुन अवॉर्ड, एशिया कप जीते हैं।। इंडिया गोल्ड कप, अर्जुन अवॉर्ड, एशिया कप जीते हैं।।
मुश्किल पड़ी हो चाहे कितनी हज़ार डटे मैदान में रहना है मुश्किल पड़ी हो चाहे कितनी हज़ार डटे मैदान में रहना है
खाने में सेहत व स्वाद भर देती, आयुर्वेद में खूब काम है आती। खाने में सेहत व स्वाद भर देती, आयुर्वेद में खूब काम है आती।
अनायास कभी कभी सतत प्रयास में ये स्वप्न कभी फिसल कर भस्म हो जाते हैं अनायास कभी कभी सतत प्रयास में ये स्वप्न कभी फिसल कर भस्म हो जाते ह...
सब कुछ कर जाते हो "मगर" क्यूँ तुम इंसान नहीं बन पाते हो..?. सब कुछ कर जाते हो "मगर" क्यूँ तुम इंसान नहीं बन पाते हो..?.
तो फिर उनका घर कौन सा है यही नहीं समझ पाती है बेटियां। तो फिर उनका घर कौन सा है यही नहीं समझ पाती है बेटियां।
अगर है परेशानी भला तो आ तू मुझसे बात कर। अगर है परेशानी भला तो आ तू मुझसे बात कर।
उनको अच्छे से समझाने के लिए ओ बापू तुम फिर आना...... उनको अच्छे से समझाने के लिए ओ बापू तुम फिर आना......
चूम लेते हो मेरा माथा बिना कुछ कहे तब मैं महसूस करती हूँ प्रेम का होना चूम लेते हो मेरा माथा बिना कुछ कहे तब मैं महसूस करती हूँ प्रेम का होना
केवल सब -ए-जश्न में जल कर, बुझ जायेगी ये दीपों की माला, केवल सब -ए-जश्न में जल कर, बुझ जायेगी ये दीपों की माला,
आज गिरगिट ऐसा बोला सुनकर दंग रह जाओगे। आज गिरगिट ऐसा बोला सुनकर दंग रह जाओगे।
अब नींद में चलने लगा हूँ अब अंधों सा रहने लगा हूँ ! अब नींद में चलने लगा हूँ अब अंधों सा रहने लगा हूँ !
वह और कोई नहीं मेरी प्यारी टीचर थी।। वह और कोई नहीं मेरी प्यारी टीचर थी ।। वह और कोई नहीं मेरी प्यारी टीचर थी।। वह और कोई नहीं मेरी प्यारी टीचर...
हम तो गरीब लोग हैं हम आने वाले कल के लिए लिखते हैं हम तो गरीब लोग हैं हम आने वाले कल के लिए लिखते हैं
कल थी हिंदी, आज भी हिंदी, भावी कल में भी होगी हिंदी।। कल थी हिंदी, आज भी हिंदी, भावी कल में भी होगी हिंदी।।
कहीं बच्चों ने खेल के मचाया शोर तो कहीं बारिश के मौसम में नाचा मोर कहीं बच्चों ने खेल के मचाया शोर तो कहीं बारिश के मौसम में नाचा मोर