ये तेरे भाई का वादा है
ये तेरे भाई का वादा है
गुमसुम थी वो
मानो कोई अपना गया हो
आँखों में आंसू और
दिल में था दर्द हार
मैंने पूछा उस शख्स से
नमी सी आँखों में
दो बूँद आंसू के टपका के
वो मुझे बोली
दर्द में हूँ आज पता मुझे है
तू ही बता दोस्त ऐसे दुःख में आखिर रास्ता क्या है ?
सहलाते हुये मैंने उसे
फिर पूछी परेशानी
पर वह तो रो रही थी ऐसी
मानो देखी उसने जगह नर्क जैसी
सम्भलते सम्भलते वह बोली फिर से
मैं आत्मा हूँ इस मिट्टी कि ऐसा
कबूल किया मुझसे
डर तो मैं थोड़ा गया था ये सुन के
पर जिज्ञासा के मारे सुनने लगा मै वही बैठ के
बोलना शुरु किया उसने
हे दोस्त हूँ मिट्टी में
ये था बताया तुझे मैंने
अब सुन आगे कि कहानी मेरी
हर दिन एक नयी तकलीफ है जारी
क्या करूँ इन इनसानों को
मानो हर दीन न्योता देते मुश्किलों को
हराम हो गया जीना मेरा
हराम हो गयी जिंदगी
तू ही बता दोस्त अगर करेंगे हर बार ऐसी गंदगी
तो रहेगी क्या इनकी जिंदगी
हर रोज विकास के नाम पर
कट जाते कितने सारे पेड़ अब
और जब क्रोध आता प्रलय वजह से इनकी
तो जपते माला हर दिन भगवान कि
अरे पर भगवान इनको क्या बचाये
जब मुसीबत ये खुद है लाये
पर जान कर भी अनजान बननेवाले इनसानों को बताओ कोई
दुनिया में हर चीज चाहे वो प्रलय हो
या हो कोरोलय सबके कारण है हम ही
दोस्त दुःख तो मुझे होता इस बात का
कि सब कुछ जानते हुये भी कोई भी एक पेड़ तक नहीं लगा सका
अब बता तू ही दोस्त मेरे
मैं नहीं रोऊँ तो करूँ क्या
और इस दुःख घड़ी में
सुख कि आशा है क्या ?
सुन के उसकी बात मुझे
बुरा बहुत लगा
अनजाने में ही सही पर मेरे आँखों से भी आंसू टपकने लगा
रो तो मैं भी रहा था
पर पोंछ के अपना रोना
मैं उस मिट्टी से आखरी बार बोला
चिंता मत कर तू बहन
माना कि गलती हमसे है हुयी
पर इसके लिये रोने कि
तुझे जरूरत नहीं
मुझे समझ आया महत्व पर्यावरण का
औरों को भी मै समझाऊँगा ये वादा है तेरे भाई का...