STORYMIRROR

क़लम-ए-अम्वाज kunu

Drama Tragedy Inspirational

4  

क़लम-ए-अम्वाज kunu

Drama Tragedy Inspirational

सँघर्ष से पनपा हूँ

सँघर्ष से पनपा हूँ

1 min
234

आंसुओं से लिखा हूं 

लहू पे सजा हूं 

सरल नहीं सफ़र मेरा

हां यातनाओं से जन्मा हूं 

खूबसूरत नहीं मैं 

राखों पे पला हूं 

उंगलियां झुलसे है अनल में फुटटे से

मैं अंगारों में तराशा गया हूं 

लोग डरते आंख बंद कर 

जिस अंधकार से 

हां मैं

उनमें खेल बड़ा हुआ हूं 

यूं ही नहीं कामिल बना 

पाषाण जलते कंदराओं पे सोया हूं

हवाओं का रुख़ कहती दास्तां मेरी 

मैं कवि बना नहीं बनाया गया हूं 

ख्वाबों का गला रेत

तपते अंगारों पे 

नंगे पांव चलाया गया हूं 

यूं ही नहीं शब्द उकेर जाता 

मैं मौत को छू के आया हूं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama