मैं स्वयम्भू सा स्वयं सिद्ध मैं अपने अहं में पाषाण बना मैं स्वयम्भू सा स्वयं सिद्ध मैं अपने अहं में पाषाण बना
तो मेरा प्रणय निवेदन स्वीकार करने आ जाओ गुलमोहर की छाँव में कर लूँ मैं समर्पण। तो मेरा प्रणय निवेदन स्वीकार करने आ जाओ गुलमोहर की छाँव में कर लूँ मैं समर्...
अब मिला सत्य, शाश्वत प्रेमी, हम चले प्रेम के पार प्रिये। अब मिला सत्य, शाश्वत प्रेमी, हम चले प्रेम के पार प्रिये।
पीड़ा जब गहरे उतरती है, तो कुछ अनुपम ही रचती है । पीड़ा जब गहरे उतरती है, तो कुछ अनुपम ही रचती है ।
याद आ रहा वो इतिहास हमे ऐसे, जैसे लोग जी रहे थे पाषाण-युग में। याद आ रहा वो इतिहास हमे ऐसे, जैसे लोग जी रहे थे पाषाण-युग में।
झुक जायेगा पर्वत भी जब सुनेगा पिता के बाहुबल की गाथा। झुक जायेगा पर्वत भी जब सुनेगा पिता के बाहुबल की गाथा।