तेरे – मेरे जीवन की घटनाओं से , इस पर कोई फर्क नहीं पड़ता , ये जानता है अपनी मंज़िल , इसे को... तेरे – मेरे जीवन की घटनाओं से , इस पर कोई फर्क नहीं पड़ता , ये जानता है अपन...
अब दोस्ती सिर्फ ओनलाइन और दोस्त सिर्फ डी पी में अब दोस्ती सिर्फ ओनलाइन और दोस्त सिर्फ डी पी में
मानव के कर्मों से बनी त्रासदी हूँ मैं नदी हूँ मैं। मानव के कर्मों से बनी त्रासदी हूँ मैं नदी हूँ मैं।
मैं खुद को खो बैठी हूँ, मैं नदी लुप्त हो रही हूँ। मैं खुद को खो बैठी हूँ, मैं नदी लुप्त हो रही हूँ।
शायद फिर मिलेगा जवाब उन सवालों का कि सीता की अग्नि-परीक्षा होगी कब तक। शायद फिर मिलेगा जवाब उन सवालों का कि सीता की अग्नि-परीक्षा होगी कब तक।
अनंत काल से वर्तमान आँचल ममता लहराया नारी। अनंत काल से वर्तमान आँचल ममता लहराया नारी।