प्रिये
प्रिये
भावों से भरा मेरा जीवन,
ना हृदय मेरा पाषाण प्रिये।
शब्द बाण के, धार तेरे,
करते मुझ पर आघात प्रिये।
मैं जग से छुपाए फिरता हूं,
इन छालो को दिन-रात प्रिये।
अश्रु वेदना का गठबंधन,
चलता आया चिरकाल प्रिये।
में हाथ पसारे दर दर भटका,
ना मिला प्रेम का दान प्रिये।
माया नटनी खेल खिलाए,
हम छले गए हर बार प्रिये।
श्वासें खंडित, व्यथित हृदय,
यह जीव बहुत लाचार प्रिये।
मैं समझ गया यह कपट जाल,
ना चलो बहुत अब चाल प्रिये।
अब मिला सत्य, शाश्वत प्रेमी,
हम चले प्रेम के पार प्रिये।