ईश्क अल्फाजों का
ईश्क अल्फाजों का
इश्क हुआ जब अल्फाजों से
हमने जीना सीख लिया
गीत छंद और गजलों से
पहला पहला प्रेम किया ।
जज्बातों की स्याही से
जाने क्या क्या लिख डाला
रूठ गई तनहाई भी
महफिल में जाना सीख लिया ।
शब्द सुमन की खुशबू से
तन-मन जीवन महका है
दूर हुए सब किंतु परंतु
ख्वाब सजाना सीख लिया ।
मन के भीतर बांध बना था
जिसमें सब उद्गार भरा था
कलम ने काटे मन के बंधन
खुलकर हंसना सीख लिया ।
रिश्ते नाते ,भाव कुभाव
इस माला में बींध लिया
गीतो संग पंछी बनकर
दिल ने उड़ना सीख लिया ।