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Vidya Sharma

Abstract Fantasy Inspirational

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Vidya Sharma

Abstract Fantasy Inspirational

प्रतिद्वंद्वी

प्रतिद्वंद्वी

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विधाता मैं जब रची सृष्टि ,

पशु और मानव को अलग-अलग

बसाया गया था,

 पर मानव भूला मानवता ....

 लोभ की पट्टी बांधे भोलू रास्ता।


 वह जंगल तक पहुँच गया,

बन बैठे जंगल के राजा।

पशुओं का हक मारा घर

और भोजन छीन लिया 

 कब तक वो भी चुप रहो,

 बिगुल वॉर का फुक दिया।


 दोनों की मारामारी है

,कैसी ये लाचारी है।

 कुत्ते बिल्ली पाले जाते

मजे से दूध और बिस्कुट खाते

 माँ बाप का हाल बुरा,

वृद्धाश्रम में भेजे जाते हैं।


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