बंजारा...
बंजारा...
एक पल को तो
मैं सब कुछ छोड़ना चाहता हूं
कहीं दूर जाना चाहता हूं
दूर उस एक राह पर
जिसकी ना कोई मंज़िल हो
ना कोई वजूद
ना ही किसी को कोई खबर
बस वही चलते रहना चाहता हूं
जहां से मै ना दुनिया को
ना दुनिया मुझे देख सकें
बस उस राह पर
अपने कदमों के निशान
छोड़ना चाहता हूं
जहां से फिर मेरा पीछा कोई ना कर सके!
