आसमान बन जाओ ना
आसमान बन जाओ ना
कभी बस कुछ पल के
लिए चाहा था तुम्हें
आज मोहब्बत से भरा
एक उपहार बन जाओ ना
मेरे दिल की जमीं पर
बिखरे ख्वाबों का
सारे रंग समेटने जैसा
आसमान बन जाओ ना
मिठास तो रहती है तुम्हारी हर पल में
तुम्हारी ही शब में डुबो देने
वाला जाम बन जाओ ना
आगोश में रखने वाले नहीं तुम मुझे
पलकों पर कभी जो लगे कालिख तो
होठों पर लाली बन जाओ ना
पैरों की पायल शोर करते हुए छनके अगर
गैरत भरी निगाह को भूलकर
मोहब्बत का एक इल्जाम बन जाओ ना
और बदनामी का शोर तो कानों में गूंजेगा ही मेरे
कुछ पल के लिये तुम मेरा गुमान बन जाओ ना
इस बंजर जमीं पर बिखरे रेत को समेटकर
मेरा आसमां बन जाओ ना।
मेरे दिल की इस छोटी सी ज़मीं के
तुम पूरे आसमां बन जाओ ना।
