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Archana Kewaliya

Abstract

3.5  

Archana Kewaliya

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न्यू नार्मल

न्यू नार्मल

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सबके मन में एक ही कौतूहल,

कैसा होगा न्यू नॉर्मल ।


बाजार तो खुलेगा फिर से, रौनक ना पहले सी होगी,

डरा हुआ हर शख्स होगा, सधा हुआ हर कदम होगा, कैसा होगा न्यू नॉर्मल ।


स्कूल भी खुलेंगे फिर से, क्लासेस न पहले सी होगी,

एक बेंच एक विद्यार्थी होगा,अध्यापक भी दूर ही होगा,

बदल जाएगी पढ़ाने की रीति,

नई होगी शिक्षा पद्धति, कैसा होगा न्यू नॉर्मल ।


नकली शादियों का लद गया जमाना,

एकदम खास ही बाराती होंगे,

संख्या होगी बस सौ पचास,

सीधी साधी रस्में होंगी, नहीं दिखावा नहीं नौटंकी, कैसा होगा न्यू नॉर्मल ।


रेलगाड़ियां दौड़ेगी पटरी पर,

यात्रा ना पहले सी होगी, सावधानियां रखनी होंगी, जिम्मेदार नागरिक बनकर,

जागरूकता रखनी होगी, कैसा होगा न्यू नॉर्मल ।


अपनों से मिलना भी होगा,

नमस्ते नमस्कार ही करना होगा,

फिर से वही जमाना होगा, दादी नानी ने जो देखा होगा,

कैसा होगा न्यू नॉर्मल ।




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