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Archana Kewaliya

Inspirational

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Archana Kewaliya

Inspirational

एकांतवास

एकांतवास

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लॉकडाउन के एकांतवास में,

समय मिला भरपूर।

ख़ुद के भीतर झांकने का,

अवसर मिला प्रचुर।


लाभ उठाया जाया ना किया,

आनन फ़ानन रच डाली,

कई कविता कई कहानियाँ,

कुछ सच्ची कुछ झूठी ही।


न साहित्य का ज्ञान,

न शब्दों का भान,

फिर भी बन रहे पुल तारीफों के,

कुछ सच्चे कुछ झुठे।


स्वयं ही ये जान ना पाई,

कला ये कहाँ से आयी,

ख़ुद ही से अनजान थी,

कल्पनाएं गुमनाम थी,

रचनाएँ बेनाम थी।


उनको नया आकार मिला,

सपनों को संसार मिला,

शब्दों का बुन गया तानाबाना,

एक नया आयाम मिला।


भीतर कहाँ छिपी थी मैं,

प्रतिभा कहा दबी थी ये,

एक नया अध्याय जुड़ा,

कवियित्री का ख़िताब मिला।

नहीं हूँ उनकी धूल बराबर


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