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V. Aaradhyaa

Inspirational

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V. Aaradhyaa

Inspirational

कंत का विश्रांत मन

कंत का विश्रांत मन

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( 1 ) प्रभु जीवन में रस-धार भरो रे! 


प्रभु दीन-दुखी जन के मन के , 


    दुख- शोक घने चहुँ ओर हरो रे! 


हम रात-दिनों विनती करते  , 


    प्रभु प्यार-अपार सदैव करो रे ||


प्रभु जाॅंचत धैर्य सदा  सब का, 


    तुम प्राणि सदा सब  धीर धरो रे |


करुणा कर दें हम पे  प्रभु   जी, 


    जन-जीवन में रस-धार भरो रे  ||

जब प्रीत रहे मन और ऑंगन में तो,

जीवन में कोई असम्भारंत न होगा।


जब प्रीत रहे मन- ऑंगन  तो, 

मन-मोर कभी उद्भ्रांत न होगा ।


पिय की छवि अंकित हो हिय में, 

मन किंचित भीत-अशांत न होगा।


जब दूरि बने अति बाधक - सी, 

सजनी अरु कंत विश्रांत न होगा।


बिन आस लिए रहता हृद जो , 

उस चाहत में मन क्लांत न होगा।



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