धरती पे हम परिवार
धरती पे हम परिवार
नया दौर है , नई सोच का ,
बने दुनिया यह एक खिले फूलों सा।
ना हो जाती या रंग रुप यह,
भाईचारे से बनाए हम धरती सुंदर और निर्भय।
दुनिया ये नई सी हो जाए,
जाति, रंग–रूप सब मिटाए।
एक धरती, एक आकाश हो जाए,
एक परिवार का एहसास हो पाए।
हम नया संसार बनाएंगे,
सब को समान अधिकार दिलाएंगे।
न होगी भेद–भाव की दीवार,
न होगा सीमाओं का सवाल।
हर चेहरे पर मुस्कान हो,
हर दिल में प्यार हो,
भूख, गरीबी मिटाकर,
सुखमय ये संसार हो ।
चलो एक वैश्विक नागरिक बन जाए,
प्रेम और सद्भावना से,
हम धरती को नया सा सजाए।
