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ritesh deo

Inspirational

4  

ritesh deo

Inspirational

उछाल दो ख्वाइश को

उछाल दो ख्वाइश को

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दोनों हाथों में भरकर, 

हर ख्वाहिश को उछाल दो

हर गम को लगाकर सीने से, 

हर बात को टाल दो


देखो अपनी आंखों से क्या दिखता है

दूसरों के चश्मे से क्या दिखता है

तुम्हे जो खुद से जुदा करे,

उस समझ को चूल्हे में डाल दो

दोनों हाथों में भरकर, 

हर ख्वाहिश को उछाल दो


दर्द है जिस बात का ,

उसे आँसुओं में उबाल दो

मुस्कुरालो गलतियों पर अपनी

गुनगुना लो लापरवाहियों पर अपनी

दोनों हाथों में भरकर, 

हर ख्वाहिश को उछाल दो


जियो कुछ ऐसे कि

मुश्किलों को भी कुछ सवाल दो

दोनों हाथों में भरकर, 

हर ख्वाहिश को उछाल दो


किसी के दुख में

पिघल सको तो पिघल जाओ

ये जहर के घूंट

निगल सको तो निगल जाओ


इस हैवानियत के दौर में,

इंसानियत की मिसाल दो

दोनों हाथों में भरकर

हर ख्वाहिश को उछाल दो


मैं ये नहीं कहता मेरी मानो

तुम्हारी मर्जी तुम जानो

तुम अगर हो तो हो कहां,

खुद के होने की कुछ मिसाल दो

दोनों हाथों में भरकर, 

हर ख्वाहिश को उछाल दो


मैं कोई ज्ञानी नहीं लेकिन 

अज्ञानी भी नही कि समझूं भी ना

दिल में आया सो कह दिया

अब जो तुम्हारे दिल में हो भड़ास, 

उसको भी निकाल दो

दोनों हाथों में भरकर,....  

हर ख्वाहिश को उछाल दो।



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