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Laxmi Tyagi

Inspirational

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Laxmi Tyagi

Inspirational

आओ, बच्चे बन जाते हैं

आओ, बच्चे बन जाते हैं

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उम्र के बंधनो को तोड़ ,

जीवन की मुश्किलों को छोड़ !

आज कुछ नया करते हैं। 

आओ ! बचपन जीते हैं। 

 घरों की चाहरदीवारी से........ 


 बाहर निकल ,

भूली -बिसरी यादों........ 

और अरमानों को जीते हैं। 

आओ !बचपन जीते हैं।


तुम स्टापू खेलो !या खेलो गिट्ठु !

शर्मा जी अपनी पत्नी को ले आओ !

उनके संग खेलो !पिट्ठू ! 

पांडे जी ,तुम गेंद ले आओ !

धर्मपत्नी जी को थमा दो ,बल्ला !

देखो !आज मोहल्ले में होता कैसा हल्ला !


अग्रवाल जी ,की आँखों पर बांधो पट्टी !

सुनैना जी तुम ले आओ ! रस्सी ! 

करुणा जी तुम ,रन बना लो !

आज तो एक शतक बना दो !

ऐसा कुछ अद्भुत करते हैं।

आओ ! बचपन जीते हैं।  


इस मोहल्ले में ,चहल -पहल संग ,

युवा बन जीते हैं ,हल्ला -गुल्ला कर ,

शोर मचा ,आज बच्चे बन जाते हैं। 

आओ !मिलकर बचपन जीते हैं।

इस खिली -खिली धूप का......... 


आनंद उठाते हैं ,आओ! बच्चे बन जाते हैं।  


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