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Laxmi Tyagi

Inspirational Others

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Laxmi Tyagi

Inspirational Others

ए, मेरी पतंग!

ए, मेरी पतंग!

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तू क्यों उलझी है ? कांटों में ,


क्यों आई? किसी की बातों में,


क्या करती? हौसला बुलंद था। 


छूने को मेरे तमाम, गगन था। 


बस अपने से ही ,मात खा गई


बंधी थी, जिस डोर से,


 वही, कच्ची डोर उलझा गयी। 


 किया भरोसा ! अपने पर,


 बस, जिंदगी वहीं गच्चा गई।


 किस्मत की बात है ,


हवा भी ,अपना रुख दिखा गयी। 


 विश्वास की नाजुक डोर उलझा गई। 


आज भी मैं, वही पतंग हूँ।


 अनुभव ने ,बहुत कुछ सिखलाया है। 


अरमान था उड़ने का, मौका गंवाया है। 


सम्भलना ,उड़ना ,गिरना ,ज़िंदगी के रंग हैं। 


मेरे पेंच भी ,क्या किसी से कम हैं ? 


नई डोर संग पुनः आसमान में उड़ दिखलाऊँगी।


मौका फिर मिला ,तो आसमान पर छा जाऊंगी।  


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