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Laxmi Tyagi

Inspirational Others

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Laxmi Tyagi

Inspirational Others

जीवन मायाजाल

जीवन मायाजाल

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कनक मुद्रिका देख, मन ललचाया जाए। 


तराशा उसे इस तरह, मुंह से निकले हाय !  


ऊपर कुंदन की चमक, नीचे विषैला नाग है।


मन के भाव उमड़े ,देख ! कुछ कहा न जाये।


 आकर्षण कुछ ऐसा, मनोहर! कैसा ये पाश है ? 


बाहरी आकर्षण में उलझा, समझा न ये छल है। 


माया का यह जाल कैसा? छुपा विषधर नाग है। 


आकर्षण से परिपूर्ण, जीवन सा उजला साज़ है। 




 जीवन सी पिटारी में बंद , आकर्षण बहुतेरे हैं। 


 मोह -माया, छल ,लोभ, जैसे जग में फैले नाग हैं। 


चमक !इस जग की, जिसमें उलझा यह संसार है।


फूल हैं ,यदि जीवन में , तो काँटों का भी साथ है।  


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