विश्व जनसंख्या दिवस
विश्व जनसंख्या दिवस
क्या हम दो हमारे दो,
महज एक रहेगा नारा।
दो से आगे नहीं होगा,
जरा भी भला हमारा।
जनसंख्या पर भार बढे ,
विकास के कांधे झुके।
प्रयास तमाम कम पड़े,
प्रगति के कदम रूके।
बेबस हो रही है बसुधा,
किस किस ओर संभाले।
प्रकृति अंधाधुंध दोहन से,
नित उफने नदी नाले।
शुद्ध हवा पानी जलवायु,
पड़ रहे निस दिन लाले।
कम होती जा रही आयु,
तू स्वंय बीमारी पाले।
जीवन को वरदान समझो,
अनुपम कृपा हरि की।
हम दो हमारे दो माधो,
कुंजी सफल जीवन की।
