आखिरी साँसें...
आखिरी साँसें...
वो हर नजारा आंखों में छप जाता है,
वो हर परिंदे का साया जब उड़कर गुजरता है,
वो चांदनी जब तारों संग चमकती है,
वो चलती हर हवायें जब रुख बदलती हैं,
वो सूरज की किरणें फिर उजाला करती हैं,
वो जमीन जब आग सी तपती है,
वो बरखा फिर बरसती है,
पानी की बूँदे जब जुबान पर छलकती है,
जीने की आस फिर जगती है,
वो हर धड़कन सुनाई देती है,
वो हर बातें अपने आपको दोहराती है,
वो हर आहट मन मे उतरने लगती है,
वो हर चेहरे फिर मुस्कुराने लगते है,
बिताई हर यादें सिमट ने लगती है,
वो आखिरी साँसें जिंदगी की पहेली लगने लगती है।
