इमोजिस् का पिटारा!
इमोजिस् का पिटारा!
कहते हैं हमको इमोजीस्, आजकल सबके पास है हमारा पिटारा।
इंसान को अपने भाव व्यक्त करने के लिए, आजकल है हमारा ही सहारा।।
हंसना, रोना, खाना, सोना, गम, खुशी, गुस्सा, प्यार।
हर भाव जाहिर करने को, है हमारे चेहरे हजार।।
हो हंसना लोटपलोट कर, या हो मंद-मंद मुस्कुराना।
हो रोना फुटफूट कर, या हो धीमे-धीमे सिसकना।।
हो देनी किसीको शाबाशी, या हो किसी के लिए ताली बजाना।
हो देनी किसीको सलामी, या हो किसी से हाथ मिलाना।।
हो कोई जश्न मनाना, या हो जताना दुख या उदासी।
हो करना आलस थोड़ा सा, या हो लेनी बड़ी सी उबासी।।
हो कभी किसीको चिढ़ाना, या हो फिर खुद इतराना।
हो कभी किसीको खाने से ललचाना, या हो फिर खुद लार टपकाना।।
हो करना प्यार का इज़हार, या हो फिर शरमाना।।
हो करना गुस्सा या तकरार, या हो रूठे हुए को मनाना।।
इंसान जो सोचते रह जाते है, बोलकर भी नहीं कह पाते हैं।
वो सब एहसास हम, चुटकी में बिना कहे ही कह जाते हैं।
जब शब्द कम पड़ जाते हैं, तब हम काम आते हैं।
कहते हैं हमको इमोजीस्, हम सबके मन को भाते हैं।।