इस रक्षाबंधन कर दूं यादों से मुंह मीठा
इस रक्षाबंधन कर दूं यादों से मुंह मीठा


सुरक्षित नहीं है भैय्या तेरे पास आना, या भिजवाना कंकू-चंदन-रोली।
सुरक्षित नहीं है भैय्या तुझे अपने पास बुलाना, या भिजवाना मिठाई संग रेशम की डोरी।।
सावधानी रखना हैं एक-दूसरे के लिए, बाहर खराब हैं हालात।
तो सोचा इस रक्षाबंधन दे दूं, अपने भैय्या को यादों की ही सौगात।।
इन मीठी यादों से कर लेना मुंह मीठा, ना खाना बाहर की मिठाई।
इस बार रेशम की डोरी से नहीं, सजा लेना मेरी भावनाओं से अपनी कलाई।।
आशा है, इन्हें याद कर तेरे चेहरे पर मुस्कान आएगी।
इस राखी पर दी हुई, यह सौगात पसंद आएगी।।
यादें, यादें, यादें, ये प्यारी मीठी यादें।
सब लिखना तो मुमकिन नहीं, पर लिख रही हूं काफी सारी बातें।।
उलटी सीधी शिकायतें करके, एक-दूसरे के खिलाफ मम्मी को भिड़ाना।
मम्मी मुझे तुझसे ज्यादा प्यार करती है, ऐसा कह कर एक दूसरे को चिढ़ाना।।
अपनी बातें और फरमाइश मनवाने के लिए, पापा को साथ में पटाना।
फिर पापा के बताए काम में, एक दूसरे का हाथ बटाना।।
दादाजी जो लाते मंदिर से प्रसाद, उसे खाने के लिए एक दूसरे से लड़ना।
दादी का पेट पकड़ के कौन सोएगा, रोज इस बात के लिए झगड़ना।।
खुद लड़ाई करके, एक-दूसरे को डांट खाने के लिए फसवाना।
ज्यादा डांट पड़ने पर, एक-दूसरे को छुड़वाना।।
तुझे चिढ़ाने के लिए, अपनी चाकलेट बहुत दिन तक बचाना।
तेरी खत्म हो जाने पर, बचाई हुई चाकलेट तुझे चिढ़ा-चिढ़ाकर खाना।।
रोज अपनी पसंद का, गेम खेलने के लिए एक-दूसरे को मनाना।
वर्ल्ड कप चल रहा हो कोई, ऐसा समझ के एक दूसरे को हराना।।
इस गेम में हार गई तो क्या हुआ, अगला जीत जाओगे ऐसा कहकर लालच दिलाना।
फिर मन रखने के लिए, खुद हारकर एक-दूसरे को जिताना।
गर्मी की छुट्टियों में, मामा-भुआ के यहां जाने का प्लान बनाना।
दोनों को साथ ना जाने मिलें तो, एक-दूसरे के प्लान में टांग अड़ाना।।
कभी टीवी देखने के लिए एक-एक घंटे की बारी लगाना,
कभी करना रिमोट के लिए लड़ाई।
कभी ट्यूशन वाली मैडम से ना पढ़ने का ढूंढना बहाना, कभी करना मिलकर पढ़ाई।।
परीक्षा में एक के दूसरे से ज्यादा नंबर आने पर, एक-दूसरे से जलना।
भीड़ वाले बाजारों में, मम्मी का हाथ पकड़ कर चलना।।
हमेशा मैं ही मैं, काम करती हूं, ऐसा कहकर बड़ों के कहे काम को टालना।
इस बार भैय्या को बोलो, ऐसा कहकर उनका बताया काम तुझ पर डालना।।
दिवाली में पटाखों की दुकान सजाना, होली में गुब्बारों की दुकान लगाना।
हमेशा जीजी को ही गिफ्ट देते हो, राखी पर मुझे भी
कुछ मिलना चाहिए, ऐसा कहकर मुंह फुलाना।।
सभी भुआ और बहनों में से, सबसे उपर बंधवाना मेरी राखी।
जीजी कठ्ठी गांठ लगाना, राखी खुले नहीं ताकि।
बिना बात की करते थे तू-तू-मैं-मैं, हम बात में करते थे हाथापाई।
फिर भी एक-दूसरे की खुद से ज्यादा परवाह करते थे, हम बहन-भाई।।
बचपन की यह मीठी यादें, रह रहकर हमेशा याद आती हैं।
पर राखी जैसे खास मौकों पर जब मिल नहीं पाते हम,
तो यह सब यादें और भी ताजा हो जाती है।।
सावधानी रखना हैं एक-दूसरे के लिए, बाहर खराब हैं हालात।
तो सोचा इस राखी पर दे दूं, अपने भैय्या को यादों की ही सौगात।।