अलविदा 2020
अलविदा 2020
सुनो ट्वेन्टी ट्वेंटी
तुमसे माफी माँगनी है,
बहुत कोसा है तुम को !
अब जब तुम्हारी विदाई का समय
पास आ रहा है।
तो पलट रही हूँ कुछ यादों के पन्ने
बना रही हूं हिसाब किताब
क्या खोया-क्या पाया का।
गुस्सा आता था तुम पर
जब हर दिन छीन लेते थे तुम
किसी अपने को।
नौकरी छीन कर तोड़ देते थे
चमकती आंखों के सपने को।
ट्वेन्टी ट्वेंटी...
नाम ही तुम्हारा है किसी मैच जैसा
जिसमे खेला गया मौत का डरावना खेल।
पीड़ा, भय, आंदोलन,त्रासदी
सब कुछ बदरंग- बेमेल।
खोया तो बहुत ...पर दोस्त
जो तुमने दिया वो कैसे भूला दूँ।
वो मीठी मीठी यादें ज़हन से कैसे मिटा दूँ।
वो माँ बाऊजी के चेहरे पर
था कितना इत्मीनान !
पोता पोती घर पर
उनका पूरा जहान!
थोड़ा था ....
पर सब खुश थे बहुत
घर में आ गयी थी जैसे
आदर अपनेपन वाली रुत।
बच्चे घर के काम में
हाथ बंटाने लगे थे।
"उफ्फ! माँ कितना काम करती है!"
जब तब कहने लगे थे।
घर का सादा भोजन
सबको लगा था भाने
दूर ...चले गए थे
स्वीग्गी, जोमैटो के ज़माने।
मेकअप के बिना
तुम लगती हो ज़्यादा सुंदर।
पति की इस बात से
सादगी करने लगी थी घर।
पक्षियों के कलरव से
आँखें लगी थी खुलने।
इतना नीला आकाश
कभी देखा नहीं था हमने।
सुबह चलता था पूरे घर में
योगासनों का दौर।
एक मीठी सी संतुष्टि
घर मे पसरी थी चहुँ ओर।
हर घर का माहौल ऐसा ही रहे
ये आशीर्वाद देते जाना।
सुनो फ्रेंड ट्वेंटी ट्वेंटी
सब बुरा साथ लेते जाना।
जिस आने वाले साल को
थमा रहे हो मशाल
उस से ज़रूर कहना
इस दुनिया का हाल।
किसी मां से उसका बच्चा
दूर न हो जाए।
दर बदर की ठोकरें खाने को
कोई मजबूर न हो जाये।
मन भर आया तो दिल खोल रो लो
मांग लो माफी सबसे मित्र
बहती गंगा में हाथ धो लो।
दुनिया सिर्फ अच्छाई याद रखती है
इसलिए मित्र ट्वेंटी ट्वेंटी वन से कहना।
तुम्हारा स्वागत है
पर दोस्त, तुम अच्छे बन कर रहना।
बस, अच्छी यादें देना।