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Sunita Shukla

Abstract

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Sunita Shukla

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वो है मेरी प्यारी माँ ! 📝

वो है मेरी प्यारी माँ ! 📝

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जिसने हमको जन्म दिया, पाल-पोस कर धन्य किया,

अद्भुत उसका रूप सलोना, महके घर का कोना-कोना।

काया उसकी पावन सी, मथुरा-वृन्दावन सा जिया,

तपती जेठ दुपहरी में ज्यों शीतल जल का बहता झरना।।


जीवन में जब छाए अंधेरा वो दीपक बन जाती है,

अंदर नीर बहाए पर वो बाहर से मुस्काती है।

जैसे दया की कोई चादर, मन अमृत का प्याला

वो है मेरी प्यारी माँ, सारे जग से न्यारी माँ।


माँ में छिपी ममता की मूरत, वात्सल्यता की है वो सूरत,

अपने आप में ही वो कुदरत, निज स्वार्थ नहीं है उसकी फितरत।

इस छोटे से मुख से करूँ मैं कैसे उसका गुणगान,

जिसकी महिमा के आगे नतमस्तक है भगवान।।


धरती सी गहराई उसमें अम्बर सी ऊँचाई है,

उसकी पावन ममता में सागर सृष्टि समाई है।

हम पर जिसने किया निछावर अपना सारा जीवन है,

वो है मेरी प्यारी माँ, सारे जग से न्यारी माँ।।


स्नेह समेटे आँचल में निश्छल 

नित प्रेम-सुधा बरसाती है।

जिसके होने से घर, घर है,

वो मेरी जीवन बगिया महकाती है।


धूप में छाया, प्यास में दरिया,

तन में जीवन, मन में दर्पण।

प्रेम की मूरत, दया की सूरत,

वो है मेरी प्यारी माँ, सारे जग से न्यारी माँ।।


स्नेह भरे दो दृग दमके, और हाथ दुआओं वाले

होठों पर मुस्कान रखे वो नेह आशीष बरसने वाले।

गाती रहती, मुस्काती वो, मेरे सपनों को सहलाती जो

खुशियों में सबके शामिल होकर अपने गम को भुलाती वो।।


रंगों से भरी फुलवारी है, दुनिया जहान से प्यारी है,

माँ शब्द ही सब पर भारी है, जो मेरी और तुम्हारी है।

नेह भरे जिसके आँचल पर कायनात बलिहारी है,

वो है मेरी प्यारी माँ, सारे जग से न्यारी माँ।।


बड़े-बड़े तमगे पा जाऊँ, 

चाहे जितना ऊँचा उठ जाऊँ।

बस भाव वही इक सच्चा है,

माँ, मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ।।


नहीं जरूरत करने की मिन्नत,

वो अनकहा भी समझती है।

कदमों में जिसके होती जन्नत,

वो है मेरी प्यारी माँ, सारे जग से न्यारी माँ।।



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