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Sunita Shukla

Inspirational

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Sunita Shukla

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कैसे कह दें अलविदा पिता

कैसे कह दें अलविदा पिता

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कैसे कह दें अलविदा पिता

जो हर साँस में मेरे समाया है

जो मेरा जीवन दाता है

जो मेरा मार्ग प्रदाता है

कैसे कोई उसे छोड़ सके

इस बंधन को कैसे तोड़ सके।।


वह केवल एक पिता नहीं      

वह छत्र है मेरे जीवन का,

तारक है प्यारे बचपन का

धरता धीरज है धरती सा,

और आसमान सी निश्छलता।।


देख अठखेलियां शैशव की,

मधुरम् मधुरम् मुस्काता है

जितना उसका सामर्थ्य नहीं,

उससे ज्यादा कर जाता है ।।


प्रेम अगाध भरी गागर

पर कभी नहीं दिखलाता है

अपने कटु-मधुु वचनों से

शिशु अंतर्मन सहलाता है ।।


सृजन करे और पालन भी

फिर भी याचन करता है

हे पिता तुम बड़े महान,

तुम ही हमारे भरता हो।।


तुम संबल हो तुम सृष्टि हो

तुम मेरी अभिव्यक्ति हो

निःस्वार्थ भावना की प्रतिमा

मेरी हर ज़िद को पूरी करते हो ।।


तुम हो नाम समर्पण का

प्रेरक हो मेरे जीवन का

दुख के बादल जब भी आते

तुम हरदम मेरा साथ निभाते।।


तुम्हारी स्नेह भरी थपकी

मुझे नई राह दिखलाती है

तुम्हारे वट वृक्ष की शीतल छाँव

मेरे जीवन की थाती है।।


ध्यान धरें जब ईश्वर का

सूरत तेरी ही दिखती है

तेरे ही आलिंगन में

दुनिया मेरी सिमटी है।।

   



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