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Sunita Shukla

Inspirational

4  

Sunita Shukla

Inspirational

काश कहीं मिल जाए....!!

काश कहीं मिल जाए....!!

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काश कहीं मिल जाए

ऐसा एक ताबूत....

जिसमें मैं दफन कर पाऊँ

दुनिया के सारे झूठ।।

सबसे पहले भूख को ही

उसमें सुला के आती

फिर न कोई भूखा सोता

और नहीं रोटी को रोता।।

दफन उसी में मैं कर देती

गम की अंधेरी सारी रातें

ऊँच-नीच का भेद न होता

ना ही कोई धर्म को रोता।।

अंतर्मन की सारी ज्वाला

बंद उसी में करवाती

समाज में फैली हर कुरीति को

उसमें रख ताला लगवाती।।

गहरी खाई में फिकवाती

या मिट्टी के नीचे दबवाती

फिर मैं वो ताबूत.....

काश कहीं मिल जाए ऐसा एक ताबूत!!

उसकी मिट्टी के ऊपर

कीकर का पेड़ लगाती

जिससे लोगों को सबक मिले

और वह इन सबसे दूर रह सकें।।

लोगों को यह समझ में आये

अच्छे और बुरे कर्मों का होता बड़ा प्रभाव

करनी करे तो क्यों डरे क्यों पीछे से पछताय

अपनी सारी बुरी आदतों को आज ही देना दफनाय।।

मिलजुलकर रहने से ही सुन्दर राह निकलती

मन की सुन्दर बातों से ही अच्छा मिलता है परिणाम

गफलत की सारी बातों को मन से देना सभी भुलाय

भेदभरी न बातें हों तो हो जाती है हर मुश्किल आसान।।

मैले और कसैले मन में प्रेम कहाँ से होय

जब बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से खाय

इसीलिए तो सोच रही हूँ ......

काश हमें मिल जाए.... ऐसा एक ताबूत ।।

          


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