मन की अनुभूतियों के उद्गार शब्दों में उकेरने की कला ही लेखनी बन कर व्यक्ति और समाज को नई राह दिखाती है
प्रिय-अप्रिय की बात कहाँ, सब अंतर्मन पर अंकित हैं। प्रिय-अप्रिय की बात कहाँ, सब अंतर्मन पर अंकित हैं।
भारत माता बिलख रही थी कोई ना सुन पाता था। कितनी चूड़ी बिंदी छूटी सहम के आंचल रोया था भारत माता बिलख रही थी कोई ना सुन पाता था। कितनी चूड़ी बिंदी छूटी सहम के आंचल ...
जीवन जिसमें रहे प्रकाशित और अंतरमन भी हो आलोकित। जीवन जिसमें रहे प्रकाशित और अंतरमन भी हो आलोकित।
काली भूरी बदली छाई चपल दामिनी दमक रही. काली भूरी बदली छाई चपल दामिनी दमक रही.
काश कहीं मिल जाए ऐसा एक ताबूत.... जिसमें मैं दफन कर पाऊँ दुनिया के सारे झूठ।। काश कहीं मिल जाए ऐसा एक ताबूत.... जिसमें मैं दफन कर पाऊँ दुनिया के ...
हीरो ही नायक और वही खलनायक होता है खो सी गई है...... दोनों के बीच की वह महीन रेखा हीरो ही नायक और वही खलनायक होता है खो सी गई है...... दोनों के बीच की वह म...
वह केवल एक पिता नहीं वह छत्र है मेरे जीवन का. वह केवल एक पिता नहीं वह छत्र है मेरे जीवन का.
तकदीरें झुक गईं....तदबीरें रंग लाईं.. और फिर एक साथ हुए हैं हम। तकदीरें झुक गईं....तदबीरें रंग लाईं.. और फिर एक साथ हुए हैं हम।
और नफरतों से भरी दुनिया में प्रेम की फुहार का। और नफरतों से भरी दुनिया में प्रेम की फुहार का।
स्वस्थ रहें सुरक्षित रहें अपने हाथों अपना जीवन नष्ट न करें। स्वस्थ रहें सुरक्षित रहें अपने हाथों अपना जीवन नष्ट न करें।