जीवन -काव्य
जीवन -काव्य
अलसुबह हाथ में चाय का कप लिये
जीवन में यादें भरी हुईं,
यादें जीवन का हिस्सा हैं।
किन-किन की मैं बात करूँ,
हर याद यहाँ इक किस्सा है।।
कुछ खट्टी कुछ मीठी उनमें,
कुछ देती हैं सबक नया।
यादें तो लिखीं इबारत हैं वो,
जीवन का पल जो बीत गया।।
प्रिय-अप्रिय की बात कहाँ,
सब अंतर्मन पर अंकित हैं।
यादों के उन पन्नों को ही,
जीवन किया समर्पित है।।
ये यादें ही हैं जो लौट आती हैं
वर्ना वक्त कहाँ किसी का होता है।
हर गुजरे पल के साथ बीत जाता है
बीता हुआ हर वक्त पराया होता है।।
यादें तो अपनी होती हैं
पलछिन साथ निभाती हैं।
खुशियों की सौगात कभी,
कभी आँखें नम कर जाती हैं।।