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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

कमज़ोरी

कमज़ोरी

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कमज़ोरी तन की नहीं मन की होती है

ज्योति सितारों की नहीं चाँद की होती है


भाग्य को दोस्तों ख़ुदा नहीं बनाता है,

भाग्य की रेखा कर्मों की दास होती है


अच्छा करोगे अच्छा भाग्य बनेगा

बुरा करोगे बुरा भाग्य बनेगा,


कमज़ोरी भाग्य की नहीं कर्मों की होती है

बबूल से कभी आम की प्राप्ति नहीं होती है


कृष्ण का तो जन्म ही जेल में हुआ था

ऊपर से जन्मदात्री का विछोह हुआ था


फिर भी उन्होंने भाग्य का रोना नहीं रोया था

अपने कठोर कर्म से गीता का ज्ञान दिया था


कमज़ोरी परिस्थितियों से नहीं मन से होती है

मन प्रबल तो पत्थर से झरने की बारिश होती है



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