Malvika Dubey

Inspirational

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Malvika Dubey

Inspirational

कैसे मिली दिवाली

कैसे मिली दिवाली

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जब कभी न 

दिवाली पे घर जा पाएं

तब अकेले दिवाली कैसे बनाए

जब ऐसी परिस्थिति आती है

दिवाली छोटी छोटी चीजों में मिल जाती है


पहले दीप प्रज्वलित करो

जो पिता की याद दिलाएगा 

अंधेरे में राह दिखायेगा

प्रेरणा बन जायेगा

हवा में भी न डगमगाए 

ऐसी एकाग्रता का स्त्रोत बन जायेगा

पिता की डांट सा ताप हो उसमे

पिता के स्नेह सी गर्माहट भी

अकेला जल के जो 

संसार को उजाला दिखायेगा


अब एक टुकड़ा मिठाई का

जो मां का स्वरूप हो

जिसके बिना हर व्यंजन अधूरा हो

जो हर रसम का हिस्सा हो

छोटा सा कण भी जिसका मन को संतुष्ट करे

जीवन की हर कड़वाहट को जो क्षण में गायब कर दे


रंगों से एक रंगोली बनाओ

जो घर का आंगन सजाए

बहन बहु मामी मौसी चाची ताई सा

सौंदर्य घर में लाए

कोने में खड़ी हो कर भी जो 

सबसे ज्यादा चमक उठे

अपने व्यक्तित्व से जो सबका जीवन रंगे


एक जगमग लड़ी भी घर में सजाओ

जो भाई मामा मौसा चाचा या ताऊजी सी

चहल पहल लाए

जिसकी जगमगाहट सब के अंधेरे हटाए

उत्सुकता त्योहार के प्रति 

दिवाली के आगमन का संदेश लाए


छोटी सी एक फुलझड़ी बेटी की स्मृति दिलाएगी

छोटी सी होकर भी जो पूरा घर रोशन कर देगी

बिना कुछ कहे हाथ पकड़े साथ देगी

जो सिखाया सादगी की चमक सबसे सुंदर रहेगी


एक आनर जो बेटे जैसा शोर करे

धूम धाम से दिवाली का स्वागत करे

जो अपनी उम्मीदों से आसमान छू जाए 

जिसकी खुशी सबको अपने साथ हसाए


शगुन हो एक छोटा सा जो

दादा दादी या नाना नानी की स्मृति हो

एक छोटे से उपहार में अनमोल आशीष हो

बस एक आरती गाकर ईश्वर को याद करें

मांगे संतोष जो सबसे बड़ी प्रसन्नता है


एक नए वस्त्र अपने लिए जो 

शोभा बढ़ाए 

चेहर पर एक मुस्कान जो घर की दिवाली याद दिलाए


बस ऐसी ही बनती है घर से दूर दिवाली

छोटे से प्रयास से खुद ही चली आती है खुशियां सारी

बस मन को समझने की देर है

जगमगाहट हर जगह ढेर है

दिल के किवाड़ खट खटाओ

पुरानी स्मृति आयेगी

पीछे पीछे जिसके त्योहार की वहीं घर वाली बात आयेगी।


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