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Rashmi Sinha

Inspirational

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Rashmi Sinha

Inspirational

आशा

आशा

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अंतर्मन से फूटती,

निर्झरणी सी हंसी,

मैं जाने क्यों,

हो चली भयमुक्त,

उड़ चली, बादलों के,पंखों पर होकर सवार,

तभी, बेख़ौफ़ उड़ते मन कख़ौफ़ज़दा कर गकोई "निर्भया"

आह! पुनः उदास हो चली मैं,

डबडबाई सी आंखों से,

हवा में तैरते ही,मैंने झाँका नीचे,

हज़ारों हाथ, हाथों में मशालें,औ' रौशनी ही रौशनी,

जो इशारा कर रहे थे,

उड़ तू----हम हैं न तेरे साथ,

और खिलखिला उठी फिर मैं,

अब तो मेरा ,

बादलों तक पहुंचना था तय।

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