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Rashmi Sinha

Comedy

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Rashmi Sinha

Comedy

ख़ुमार

ख़ुमार

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पता नही मौसम का खुमार था,

या दूसरा--तीसरा,

चौथा, पाचवां प्यार था,

अजब बुखार था,

शीत ऋतु आते-आते चढ़ता था,

नाइट्रोजन फ़िल्ड टायर की तरह,

प्रधानमंत्री जीवन-ज्योति के टार्गेट की तरह,


आयुष्मान भारत की तरह,

बस एक अंगड़ाई लेते ही,

तमन्नाएं जागने लगती हैं,

लक्ष्य पूरा करने के लिए ,

भागने लगती हैं,


घूमती मछली की माया,

तेल में देख उसकी छाया,

आशिक महोदय,

धनुष उठा ही लेते हैं

तीर फेंक---

थोड़ा इतरा भी लेते हैं,

पर मौसम भाग रहा था,


साबुन के बुलबुले सा इश्क़,

बैठता जा रहा था,

और पसीने से तर,

इश्क के दीवाने,

 समझ चुके थे,

ये इश्क़ नहीं,

मौसम का खुमार था।


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