I'm Qais and I love to read StoryMirror contents.
Share with friendsसच कह रहा हूँ, “ज़िन्दगी का एक अलग ही मज़ा आ रहा है।”
Submitted on 26 Mar, 2019 at 09:17 AM
“एक पूड़ी-सब्ज़ी.” मैंने अपने मालिक को बताया. मालिक ने मुँह सिकोड़ते हुए उस ग्राहक को देखा, और टोकन फाड़कर मुझे दिया.
Submitted on 12 Oct, 2017 at 11:48 AM
वो चाहती कुछ और थी. कहती कुछ और थी. और करती कुछ और थी. वो मजबूर थी, अपने हालात से. अपने माहौल से.
Submitted on 24 Jun, 2017 at 09:35 AM
मैं जानता था कि ये वही मौलवी साहब हैं जो मेरे मुहल्ले में बच्चों को तालीम देते थे. हर घर से पचास रुपया महीना पाते थे, और...
Submitted on 22 Jun, 2017 at 10:22 AM
उस दिन मुझे ये पता चला कि मेरा पति अब मेरा नहीं रहा. वो किसी और का भी था. इसलिये अब वो मेरा नहीं था. क्योंकि पति तो पूरा...
Submitted on 20 Jun, 2017 at 12:28 PM
उसने उस औरत की हालत देखी और अब वो उसके गाने के बोल का मतलब निकालने लगा. अब औरत गाये जा रही है और वो उसके एक–एक लफ़्ज़ का म...
Submitted on 10 Jun, 2017 at 18:44 PM
उसकी लहराती ज़ुल्फ़ों की वजह से बहुत सारे लोगों के दिलों पे साँप लोट जाता था... बहुतों के दिलों पे इसलिये कि वो उनकी नहीं ...
Submitted on 09 Jun, 2017 at 07:46 AM
उसकी लहराती ज़ुल्फ़ों की वजह से बहुत सारे लोगों के दिलों पे साँप लोट जाता था। बहुतों के दिलों पे इसलिये कि वो उनकी नहीं थी...
Submitted on 06 Jun, 2017 at 07:42 AM
एक शहर था, जो बड़ी तेज़ी से तरक़्क़ी कर रहा था. उसी शहर में एक कबूतर का जोड़ा रहता था. शहर में अन्धाधुन्ध बन रही इमारतों की व...
Submitted on 04 Jun, 2017 at 20:10 PM
लोग देख रहे थे कि मैं भगवान की मूर्ति के साथ छेड़-छाड़ कर रहा हूँ. मगर किसी ने मुझसे कुछ कहा नहीं. मूर्ति पूरी रेत से सनी ...
Submitted on 30 May, 2017 at 16:39 PM
पाँच रुपए उसने अपनी सलवार के नेफ़े में ठूँस लिए और तसल्ली से अपनी कमीज़ नीचे सरका दी, ऐसे, जैसे उसने वो पाँच का सिक्का ज़मी...
Submitted on 23 May, 2017 at 17:04 PM
कहानी मे मर्सी किल्लिंग की बात कही गयी है अंत में जो कानून के विरुद्ध है.
Submitted on 22 May, 2017 at 18:14 PM
आबिया नाम है उसका आबिया से मिलने से पहले, करीम की ज़िन्दगी एक अलग तरीक़े से चल रही थी। जहाँ वो ख़ुद अपनी मर्ज़ी का मालिक हुआ...
Submitted on 20 May, 2017 at 07:47 AM
- “कुछ अर्जेंट काम था वसीम। लेकिन अभी आप जिस हालत में हो, तो कोई फ़ाएदा नहीं है कहके।” - “अरे मैडम! आप कहके तो देखो. आपके...
Submitted on 16 May, 2017 at 18:18 PM
बचपन में गुब्बारे बेचता था मैं। होली पे रंग, दीवाली पे पटाखे, रक्षा-बन्धन पे राखी, और इसी तरह के और भी छोटे-छोटे काम करन...
Submitted on 15 May, 2017 at 13:16 PM
“कपड़े हैं?” वली के कान में एक मीठी सी आवाज़ खनखनाई. उसने ठीक से देखा. सामने एक औरत खड़ी है. वली को कुछ समझ में नहीं आया कि...
Submitted on 13 May, 2017 at 08:23 AM
तभी भीड़ में से एक सवाल और हुआ, “ये रंग आपको जहन्नुम में ले जाएँगे.” अब अहद को गुस्सा आने लगा, क्योंकि उससे सवाल करने वाल...
Submitted on 12 May, 2017 at 14:53 PM
लेकिन बस में बैठे हुए लोग तो पहले से ही उसे देख रहे थे और सोच रहे थे कि “ये लड़की इतनी बेचैन क्यूँ है?” क्योंकि लोगों को ...
Submitted on 02 Oct, 2016 at 18:34 PM